शे'र \ इन्द्रजीत कमल - Inderjeet Kamal

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Wednesday, 10 June 2015

शे'र \ इन्द्रजीत कमल

जंगलों  से  जो हवा  सी  आ रही है !
शहर के घरघर में घुसती जा रही है !

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