इश्क ने ग़ालिब निक्कमा कर दिया \ इन्द्रजीत कमल - Inderjeet Kamal

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Sunday, 14 June 2015

इश्क ने ग़ालिब निक्कमा कर दिया \ इन्द्रजीत कमल


                                                           तीस वर्ष से ज़्यादा समय हो गया है | हमारे शहर पट्टी ( तरन तारन ) के सिनेमा के पास रात को एक दुकान के आगे बने बरामदे में एक पागल सा दिखने वाला अमलीनुमा व्यक्ति सोया होता था, जिसके साथ कई आवारा कुत्ते भी होते थे | दिन के समय वो इधर उधर घूमता रहता था , कोई उसे कुछ खाने को ते देता तो कोई एक आध रुपया | मैंने उसे कभी किसी के साथ बोलता हुआ नहीं देखा था | उसका सरीर तकरीबन दोहरा हुआ रहता था | जिस दिन उसके पास कुछ पैसे जमा हो जाते थे तो वो एक अफीम बेचने वाले से अफीम ले आता था |
मैं रात में समय आपने शौक की पूर्ति के लिए अपने दोस्त अश्वनी शर्मा के स्टूडियो पर डार्क रूम में उसके साथ लोगों की तस्वीरें तैयार करता था | रात को जब फिल्म खत्म होने का समय होता तो हम दोनों दोस्त साइकल पर सिनेमा के सामने एक दुकान पर चाय पीने आ जाते | एक दिन हम चाय पीने आए तो वो अमलीनुमा व्यक्ति भी वहाँ खड़ा था | कई दिनों से मेरा उससे बात करने का मन था ,पर पहली बार मेरे इतने नजदीक था | मैंने धीरे से डरते हुए पूछा ," अमली चाय पिएगा ?"
" हाँ ! पिऊंगा |" उसका छोटा सा उत्तर सुन कर मैंने दुकानदार को तीन कप चाय देने को कहा और साथ ही अमली से पूछा ," तेरा नाम क्या है ? "
" ईशर सिंह |" इतना सुन कर मैंने पूछा , " गाँव कौनसा है |"
" हरीके के पास है |" उसके इस उत्तर को सुन कर मैने कहा ," मैं तेरे बारे में कुछ जानना चाहता हूँ | " 
" मैं जाट ज़मीदारों का बेटा हूँ | घर की अच्छी जमीन थी |पूरे खानदान में मैं ही सब से सुंदर था | छ फुट से ऊँचा कद , सुंदर पगड़ी बांध कर जिस गली से गुजर जाता था , लोग देखते रह जाते थे | मेरी सारी भाबियाँ मुझे अपने मायके से रिश्ता करवाने के लिए जोर लगाती थी |" वो एक सांस में ही बोल गया |‪#‎KamalDiKalam‬ 
मैंने ध्यान से देखा दोहरा हो कर चलने वाला चार कु फुट का दिखने वाला ईशर सिंह तो बहुत ऊँचा लंबा था |
" फिर ये हालात कैसे बने ?" मैंने ईशर सिंह की तरफ इशारा करके पूछा |
उसने ठंडी सांस ली और बोला ," बहुत पुरानी बात है | हरीके में एक सर्कस आई थी , मैं भी वो देखने चला गया | उसमें एक नृतकी का नृत देख कर मैं स्तब्ध रह गया और रोज़ सर्कस देखने लगा | एक दिन उस हसीना से मुलाकात भी हो गई और रोज़ मिलने का सिलसिला चलने लगा | "
ईशर सिंह ने बताया कि हरीके में सर्कस का समय खत्म हुआ तो वो सर्कस वालों के साथ ही दुसरे शहरों के लिए चला गया | उसने और कोई काम न जानने के कारण सर्कस में तंबूयों के खूंटे गाड़ने का काम शुरू कर दिया | कई शहरों में घूमने के बाद उस नृतकी ने किसी और के साथ शादी कर ली जिस कारण ईशर सिंह अंदर तक टूट गया | हरीके में आ कर उसने समान ढोने का कम शुरू कर दिया | यहीं से ही उसको अफीम की लत लगी |घर वाले कई बार लेने आए , मगर वो घर वापिस नहीं गया |
उस समय मैंने ईशर सिंह की कहानी उसकी फोटो सहित कई समाचार पत्रों में छपवाई जिस कारण शहर के लोग उसकी बहुत इज्जत करने लगे |

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