नोट खाने वाला बाबा \ इन्द्रजीत कमल - Inderjeet Kamal

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Sunday, 17 May 2015

नोट खाने वाला बाबा \ इन्द्रजीत कमल

एक दवाई की दुकान पर शरीर पर राख मल कर एब बाबा पहुंचा और दुकान पर बैठे नौजवान से कहने लगा ," मैनें रोटी खानी है कुछ पैसे देदे |"
नौजवान ने पांच रुपए दिए तो पूछने लगा ," बच्चा , कोई दडा सट्टा भी लगाता है ?"
दुकानदार के ' नहीं ' कहने पर भी वो पाखंडी टला ना और कहने लगा ," कोई बात नहीं तेरे पास जो सब से बड़ा नोट है उस पर तीन बार फूंक मार |"
दुकानदार ने एक हजार के नोट पर तीन बार फूंक मारी तो वो बोला ," एक फूंक बाबे  की भी मरवा |"
दुकानदार ने नोट पाखंडी को पकड़ा दिया और उसने नोट पर फूंक मारने के बहाने नोट मूंह में डाला और चबा कर अंदर निगल गया और बोला ," जा , आज 22 और 24 नंबर लगा दे और नोटों की बोरियां भर ले !"
दुकानदार नोट लेने के लिए उसके साथ उलझने लगा , मगर बाबा तो उसके पैर ही न लगने दे | अचानक इतनी देर में  मैं वहाँ पहुंच गया | उस दुकानदार नौजवान ने सारी बात मुझे बताई और मैंने उस पाखंडी को कहा कि लडके का नोट वापस कर दे | आगे से अपने पेट पर हाथ घुमाता हुआ बोला ," वो तो प्रभू को प्यारा हो गया |"
मैं समझ गया कि ये आसानी से मानने वाला नहीं है | मैंने दायें हाथ में अपना जूता पकड़ा और बाएं हाथ से उसकी गर्दन दबाते हुए पूछा ," बोल कितने जूते खा  कर नोट देगा ?"
अब उसको समझ आ चुकी थी और उसने अपने थैले में से नोट निकाल कर वापिस कर दिया |
फिर मैंने उस नौजवान को कुछ जादू की चलाकियाँ करके दिखाई और उसे बताया कि उस पाखंडी ने नोट मूंह में पाया ही नहीं था , बस नाटक  सा करके  उसे ठगने की कोशिश की थी |

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