कार्य और कला \ इन्द्रजीत कमल - Inderjeet Kamal

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Monday, 18 May 2015

कार्य और कला \ इन्द्रजीत कमल

एक बार हम एक नाटक मुकाबले में भाग लेने जलालाबाद गये | एक कमरे में बैठे कलाकार अपनी अपनी जान पहचान करवा रहे थे | हमारे साथ गये अदाकार सत्त बिल्लू ने बताया कि वो जूतों की मुरम्मत करता है तो कई कलाकार उसे मज़ाक करने लगे | मैनें उनको बहुत बुरा भला कहा लेकिन किसी पर कोई असर न हुआ | जब हमने नाटक किया  तो सत्त बिल्लू की अदाकारी देखकर वो सारे कलाकार अपने ऊपर शर्म महसूस करने लगे और उन्होंने आ कर सत्त बिल्लू  से  माफ़ी मांगी |

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