तर्कशील सोसायटी हरयाणा (रजी) का जिला सचिव होने के नाते मेरे पास कई ऐसे केस आते रहते हैं जो भूत-प्रेतों के नाम से जुड़े होते हैं | उनमे से कईओं को मैंने होमिओपैथिक दवाईओं से ठीक कर दिया | इस परकार के अंधविश्वास से जुड़े कुछ केसों को मैं यहाँ इस लिए दे रहा हूँ तांकि आप लोगों के साथ साँझा कर सकूं |
१ कुछ साल पहले एक सरदारजी मेरे पास आए और कहने लगे के किया आप भूतों प्रेतों के केस भी देखते हैं ?मैंने उन्हें क्लिनिक के टाइम के बाद आकर सारी बात बताने को कहा | उन्हों ने बताया के वे हरयाणा के बिजली बोर्ड में अधिकारी हैं | जब भी वो सुबह अपना स्कूटर निकाल कर उसको किक करता है और उसको रेस देता है तो उसकी पत्नी उसको गालिआं देना शुरू कर देती है कि वे सामने वाली औरत को निशाना बनाने के लिए ऐसा करता है | रास्ते जां बाज़ार आते जाते
समय भी कोई सुंदर औरत सामने आ जाए तो भी वह अपने पति को बुरा भला कहने लगती है | वे उस समय किसी बात की भी परवाह नहीं करती | दवाई खाना भी पसंद नहीं करती |
मैंने उस व्यक्ति के सामने ही अपने लैपटॉप पर निम्न दो रुब्रिक लगाए
समय भी कोई सुंदर औरत सामने आ जाए तो भी वह अपने पति को बुरा भला कहने लगती है | वे उस समय किसी बात की भी परवाह नहीं करती | दवाई खाना भी पसंद नहीं करती |
मैंने उस व्यक्ति के सामने ही अपने लैपटॉप पर निम्न दो रुब्रिक लगाए
1 SUSPICIOUS 'MEDICINE WILL NOT TAKE
2 Jealousy
इससे लैकेसिस मेरे सामने आ गयी | उस आदमी ने बताया कि पत्नी के रोग को ले कर कई बाबाओं ,तांत्रिकों और ओझाओं के पास भी वह जा चूका है और लाखों रूपए अब तक लुटा चूका है |
मैंने उसका पता नोट किया और उसके घर आने का समय दे दिया | लैकेसिस १००० ( lach 1m ) की शीशी अपनी जेब में डाल कर मैं उस के घर पहुँच गया | मैंने जाते ही उस की बीवी से बात की तो उस ने बताया के वह तो ये सब नहीं करना चाहती | इस के लिए वोह स्टोर रूम में जाकर कुण्डी भी बंद कर लेती है , पर स्कूटर की आवाज़ कानो में पड़ते ही उसे पता नहीं क्या होता है के वोह कुण्डी खोल कर बाहर आ जाती है और बुरा भला बोलना शुरू कर देती है |
मुझे भी उसे दवाई देने के लिए कुछ नाटक तो करना ही था ;क्योंकि वैसे तो वोह दवाई लेती नहीं थी |मैंने एक गिलास पानी मंगवाया और उसे ढक कर रखने को कहा | फिर मैंने परिवार के सारे लोगों को बाहर जाने को कहा | सब के बाहर जाते ही मैंने कमरे की कुण्डी बंद कर दी और अपनी जेब से शीशी निकाल कर पानी वाले गिलास में लैकेसिस १००० की दो बूंदें डाल दी और थोड़ी देर के लिए खुला छोड़ दिया | कुछ देर बाद मैंने उस गिलास को फिर से ढक दिया और सारे परिवार को अन्दर बुला लिया | मैंने उस औरत को कहा कि मैंने पानी अभिमंत्रित कर दिया है और इस
पानी को घूँट घूँट कर पी जाए | उस ने थोड़ी देर में ही मेरे सामने ही सारा पानी पी लिया और मैं वापिस आ गया |
तीन दिन बाद सरदारजी मेरे पास आए और मेरे पैर पकड़ लिए |मैंने पूछा अब क्या हुआ है ? तो उन्हों ने कहा "आप ने तो मेरी ज़िन्दगी बदलके रख दी उस दिन के बाद ऐसा कुछ नहीं हुआ जिस के लिए मैंने लाखों रुपए बर्बाद कर दिए थे | इन्द्रजीत कमल
Great work.
ReplyDeletethanks kusum sharma
Deletekeep it up..
ReplyDeletethanks kavita sharma
DeleteYour blog is very nice. I am your fan Dr. Inderjeet Kamal.You are doing a great job. All the best Doc.
ReplyDeletethanks
DeleteSociety di help da sahi kadam. GOOD
ReplyDeleteਸਾਰਿਆਂ ਦਾ ਧੰਨਵਾਦ ਜੀ !
ReplyDelete