तावीज़ \ इन्द्रजीत कमल - Inderjeet Kamal

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Thursday, 14 May 2015

तावीज़ \ इन्द्रजीत कमल

एक औरत को मेरे पास लेकर आए , कहने लगे ," इसको गुस्सा बहुत आता है | गुस्से में ये अपने पीटीआई को बहुत बुरा भला बोलती है |"
मैंने पूछा तो कहने लगी ," मेरे बस की बात नहीं है , उस समय मेरे अंदर कोई ओपरी चीज़ आ जाती है , वो बोलती है |"
मैंने देखा  इसके आगे बीन बजाने का कोई फायदा नहीं है | मैंने  एक कागज़ पर ऊटपटांग शब्द लिख कर उस को अच्छी तरह तह करके उसे पकड़ते हुए कहा ," इस को चाँदी के तावीज़ में बंद करवाके हमेशा अपने पास रखो | जब गुस्सा आए इसको अपनी जुबान के नीचे रख कर चुप्प हो जाया करो |"
कई महीने हो गए हैं , उनके  घर में बिलकुल शांति है |

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