एक दिन शनिवार के दिन एक व्यक्ति डोल सा लेकर मेरे पास आया और बोला , " जय शनिदेव !"
मैंने देखा उसके डोल में सरसों का तेल था और उसमें लोहे की एक पत्ती को इनसानी शरीर की शक्ल में काट कर डाला हुआ था | मैंने पत्ती की तरफ इशारा करते हुए पूछा ," ये क्या है ?"
कहने लगा ," शनिदेव !"
मैंने पूछा ," ये क्या करता है ?"
कहने लगा ," अगर दान करो , खुश रहता है , नहीं तो गुस्से में आ कर लोगों को उल्टा कर देता है |"
मैंने उसके डोल से पत्ती निकली और उल्टी करके उसके डोल में ही डाल कर कहा ," इसको बोल पहले खुद सीधा हो कर दिखाए !"
वो बुडबुडाता हुआ चला गया | अब मुझे देख कर रस्ता बदल लेटा है |
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